*बबासीर खूनी व वादी*
आज आप के सामने
*पिछले दिनों वादी बवासीर के लिए एक देसी उपाय मिला था कि जिसे मस्से हों वो जिमीकंद को मटर के दानों के बराबर भाग में काटकर 10 पीस सुबह खाली पेट जीभ पर रखकर पानी के साथ निगल लें, उसके पश्चात एक घंटा तक कुछ न खाएं।*
*यह प्रयोग एक महीने करने के बाद 10 दिन का अंतराल लेना है।*
*यह नुस्खा मैने अपने 3 पर आजमाया तो उनके मस्सों का आकार सिकुड़ने लगा है और दर्द जलन खुजली भी चली गई।*
👉🏼 *गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित है।*
*बवासीर में भांग के पौधे के पत्ते की लुगदी बनाकर बांधने से लाभ होता है।*
*अर्शोघ्रीवटी -यह खूनी व बादी दोनों प्रकार के बवासीर में अच्छा काम करता है ।
*मात्रा -दो - दो गोली दिन में तीन बार ठन्डे पानी के साथ ले ।
*नागकेशर योग - असली नागकेशर और खूनखराबा दोनों को कपड़छान चूर्ण करके उसे 2 मासा 3-4 बार दूब के रस , मोसम्बी , मीठे अनार , धनिये के रस के साथ देने से या उदुम्बरसार की ६० ग्राम ठन्डे जल में घोलकर इसके साथ देने से बवासीर कस खून का गिरना बंद हो जाता है ।
*खूनी बबासीर-* अर्श कुठार रस -30 ग्राम , संग जहारद भस्म 30 ग्राम , बावनी घास घनसत्व 30 ग्राम इसे भी 60 पुड़िया बनाकर वैसे ही लें ।
*चूर्ण - त्रिफला , बकायन गिरी, बेलगिरी प्रत्येक 100 ग्राम , हरड़ छिलका 200 ग्राम का चूर्ण बना लें ।
*बवासीर पर परीक्षित प्रयोग -
*नीम की निबौली , खूनखराबा , मुनक्का , गेरू कहरवा* इन पाँचो दवाइयों के मिश्रण की चने के बराबर २-२ गोली को जल ठंडे जल से लेने से खूनी बबासीर में निश्चित लाभ मिलता है ।
*नागकेशर योग - नागकेशर १.५ ग्राम , काला तिल १२ ग्राम ताजे घी या मक्खन के साथ लेने से बबासीर में खून गिरना बंद हो जाता है ।
*रीठे का प्रयोग -
रीठे के छिल्के की भस्म १ ग्राम शहद से चाटने से खूनी बबासीर में लाभ मिलता है ।
*बवासीर कफ प्रवृति के लिए -
काली मिर्च १२ ग्राम , पीपल २५ ग्राम , सोंठ ३५ ग्राम , चित्रक ४७ ग्राम , सूरण ७० ग्राम इन पाँचो को २०० ग्राम देशी गुड़ में मिलकर १२ -१२ की गोली बनाकर दूध या जल से लेने से दोनों तरह के बबासीर में लाभ करता है ।
*बवासीर भुर्ता - जमीकंद (सूरण) की घी में भुना हुआ भुर्ता दही के साथ खाने से दोनों बबासीर में लाभ मिलता है ।
*बवासीर काढ़ा -
लाल चंदन , चिरायता , जवासा , सोंठ इन चारों का काढ़ा भी खूनी बबासीर में लाभकारी है ।
*बवासीर का नमक:-* भिलावा , त्रिफला , निशोथ , चीता बराबर मात्रा में लेकर दूने मात्रा में नमक मिलाकर फिर नारियल की खोपडी में भरकर आग में जला दें । इसे ५ ग्राम छाछ में डालकर पियें ।
*बहुशाल गुड़ - १२ ग्राम की मात्रा में बकरी के दूध से या जल के साथ दिन में दो बार लें । इससे बबासीर गुल्म , वातोदर , पेट की गैस , जुकाम , पांडु रोग , आमवात , संग्रहणी , प्रमेह आदि रोगों को नष्ट कर शरीर को बलवान करता है । *जब बबासीर रोग में वायु पेट में जमा हो जाता है तो उसे निकालने के लिए बहुशाल गुड़ बेहद अच्छा कार्य करता है ।*
*सूरण मोदक -दोनों तरह के बवासीर में बेहद कारगर है भूख बढ़ाता है । 12 -12 ग्राम की गोली सुबह - शाम लें ।
*अभयारिष्ट - दो -दो ढक्कन सुबह - शाम भोजन के बाद लेने से बवासीर , उदर रोग , कब्जियत को नष्ट कर भूख बढ़ाता है ।
*अर्थकुठार रस - एक या दो -दो गोली सुबह शाम लेने से दोनों तरह के बवासीर में लाभ करता है ।
*कांकायन गुटिका -१ -१ ग्राम की उस समय दी जाती है जब मस्सों को क्षार या अग्नि शस्त्र पर काट देने के बाद ठीक नहीं होते हैं ।
*बवासीर जलन , खुजली का उपाय -
गुदाद्वार में खुजली , जलन होने पर भांग को जल में पीसकर बांधे , गेंदे की लुगदी , सुहागे का भुना लावा घी में भूनकर बांधे , अरण्ड का तेल लगाये ।
*मस्सों के लिए -
नीलाथोथा 20 ग्राम और अफीम 40 ग्राम लेकर इसे महीन कूट लें। इस चूर्ण को 40 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर पकायें। प्रतिदिन सुबह-शाम उस मिश्रण (पेस्ट) को रूई से मस्सों पर लगाने से मस्से 8 से 10 दिनों में ही सूखकर गिर जाते हैं।
नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े-से कपूर डालकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर बांधने से मस्से नष्ट होते हैं।
आधा चम्मच हर्र का चूर्ण गर्म पानी से सुबह-शाम खाने से बादी बवासीर बन्द हो जाती है।
चुकन्दर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
*पथ्यापथ्य - "जिन रोगियों को आहार -विहार अच्छा नहीं है उन्हें बार - बार यह समस्या आएगी । बिना पचे कभी अन्न ना खाये , हमेशा पेट साफ रखें । मट्ठे में लवण भास्कर चूर्ण का प्रयोग कब्जियत के लिए अच्छा है । रात को सोते समय ईसबगोल की भूसी गर्म दूध के साथ लेना चाहिये । जमीकंद , बथुआ , चौलाई , कच्चा पपीता , खाना चाहिए । कच्चा पपीता , पका पपीता , मूली लगातार प्रयोग में लायें । त्रिफला चूर्ण १२ ग्राम गर्म दूध या गर्म जल से सोते समय लेना चाहिए । शौच के बाद मध्यमा अंगुली से गुदा द्वार को अच्छी तरफ साफ़ रखना चाहिये । मंदाग्नि होने पर विशेष तरह का आहार-विहार का आचरण करना चाहिए । प्रतिदिन गुदा का आंकुचन करना चाहिए । मसालेदार चटपटी चीजों का प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए।
आज आप के सामने
*पिछले दिनों वादी बवासीर के लिए एक देसी उपाय मिला था कि जिसे मस्से हों वो जिमीकंद को मटर के दानों के बराबर भाग में काटकर 10 पीस सुबह खाली पेट जीभ पर रखकर पानी के साथ निगल लें, उसके पश्चात एक घंटा तक कुछ न खाएं।*
*यह प्रयोग एक महीने करने के बाद 10 दिन का अंतराल लेना है।*
*यह नुस्खा मैने अपने 3 पर आजमाया तो उनके मस्सों का आकार सिकुड़ने लगा है और दर्द जलन खुजली भी चली गई।*
👉🏼 *गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित है।*
*बवासीर में भांग के पौधे के पत्ते की लुगदी बनाकर बांधने से लाभ होता है।*
*अर्शोघ्रीवटी -यह खूनी व बादी दोनों प्रकार के बवासीर में अच्छा काम करता है ।
*मात्रा -दो - दो गोली दिन में तीन बार ठन्डे पानी के साथ ले ।
*नागकेशर योग - असली नागकेशर और खूनखराबा दोनों को कपड़छान चूर्ण करके उसे 2 मासा 3-4 बार दूब के रस , मोसम्बी , मीठे अनार , धनिये के रस के साथ देने से या उदुम्बरसार की ६० ग्राम ठन्डे जल में घोलकर इसके साथ देने से बवासीर कस खून का गिरना बंद हो जाता है ।
*खूनी बबासीर-* अर्श कुठार रस -30 ग्राम , संग जहारद भस्म 30 ग्राम , बावनी घास घनसत्व 30 ग्राम इसे भी 60 पुड़िया बनाकर वैसे ही लें ।
*चूर्ण - त्रिफला , बकायन गिरी, बेलगिरी प्रत्येक 100 ग्राम , हरड़ छिलका 200 ग्राम का चूर्ण बना लें ।
*बवासीर पर परीक्षित प्रयोग -
*नीम की निबौली , खूनखराबा , मुनक्का , गेरू कहरवा* इन पाँचो दवाइयों के मिश्रण की चने के बराबर २-२ गोली को जल ठंडे जल से लेने से खूनी बबासीर में निश्चित लाभ मिलता है ।
*नागकेशर योग - नागकेशर १.५ ग्राम , काला तिल १२ ग्राम ताजे घी या मक्खन के साथ लेने से बबासीर में खून गिरना बंद हो जाता है ।
*रीठे का प्रयोग -
रीठे के छिल्के की भस्म १ ग्राम शहद से चाटने से खूनी बबासीर में लाभ मिलता है ।
*बवासीर कफ प्रवृति के लिए -
काली मिर्च १२ ग्राम , पीपल २५ ग्राम , सोंठ ३५ ग्राम , चित्रक ४७ ग्राम , सूरण ७० ग्राम इन पाँचो को २०० ग्राम देशी गुड़ में मिलकर १२ -१२ की गोली बनाकर दूध या जल से लेने से दोनों तरह के बबासीर में लाभ करता है ।
*बवासीर भुर्ता - जमीकंद (सूरण) की घी में भुना हुआ भुर्ता दही के साथ खाने से दोनों बबासीर में लाभ मिलता है ।
*बवासीर काढ़ा -
लाल चंदन , चिरायता , जवासा , सोंठ इन चारों का काढ़ा भी खूनी बबासीर में लाभकारी है ।
*बवासीर का नमक:-* भिलावा , त्रिफला , निशोथ , चीता बराबर मात्रा में लेकर दूने मात्रा में नमक मिलाकर फिर नारियल की खोपडी में भरकर आग में जला दें । इसे ५ ग्राम छाछ में डालकर पियें ।
*बहुशाल गुड़ - १२ ग्राम की मात्रा में बकरी के दूध से या जल के साथ दिन में दो बार लें । इससे बबासीर गुल्म , वातोदर , पेट की गैस , जुकाम , पांडु रोग , आमवात , संग्रहणी , प्रमेह आदि रोगों को नष्ट कर शरीर को बलवान करता है । *जब बबासीर रोग में वायु पेट में जमा हो जाता है तो उसे निकालने के लिए बहुशाल गुड़ बेहद अच्छा कार्य करता है ।*
*सूरण मोदक -दोनों तरह के बवासीर में बेहद कारगर है भूख बढ़ाता है । 12 -12 ग्राम की गोली सुबह - शाम लें ।
*अभयारिष्ट - दो -दो ढक्कन सुबह - शाम भोजन के बाद लेने से बवासीर , उदर रोग , कब्जियत को नष्ट कर भूख बढ़ाता है ।
*अर्थकुठार रस - एक या दो -दो गोली सुबह शाम लेने से दोनों तरह के बवासीर में लाभ करता है ।
*कांकायन गुटिका -१ -१ ग्राम की उस समय दी जाती है जब मस्सों को क्षार या अग्नि शस्त्र पर काट देने के बाद ठीक नहीं होते हैं ।
*बवासीर जलन , खुजली का उपाय -
गुदाद्वार में खुजली , जलन होने पर भांग को जल में पीसकर बांधे , गेंदे की लुगदी , सुहागे का भुना लावा घी में भूनकर बांधे , अरण्ड का तेल लगाये ।
*मस्सों के लिए -
नीलाथोथा 20 ग्राम और अफीम 40 ग्राम लेकर इसे महीन कूट लें। इस चूर्ण को 40 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर पकायें। प्रतिदिन सुबह-शाम उस मिश्रण (पेस्ट) को रूई से मस्सों पर लगाने से मस्से 8 से 10 दिनों में ही सूखकर गिर जाते हैं।
नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े-से कपूर डालकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर बांधने से मस्से नष्ट होते हैं।
आधा चम्मच हर्र का चूर्ण गर्म पानी से सुबह-शाम खाने से बादी बवासीर बन्द हो जाती है।
चुकन्दर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
*पथ्यापथ्य - "जिन रोगियों को आहार -विहार अच्छा नहीं है उन्हें बार - बार यह समस्या आएगी । बिना पचे कभी अन्न ना खाये , हमेशा पेट साफ रखें । मट्ठे में लवण भास्कर चूर्ण का प्रयोग कब्जियत के लिए अच्छा है । रात को सोते समय ईसबगोल की भूसी गर्म दूध के साथ लेना चाहिये । जमीकंद , बथुआ , चौलाई , कच्चा पपीता , खाना चाहिए । कच्चा पपीता , पका पपीता , मूली लगातार प्रयोग में लायें । त्रिफला चूर्ण १२ ग्राम गर्म दूध या गर्म जल से सोते समय लेना चाहिए । शौच के बाद मध्यमा अंगुली से गुदा द्वार को अच्छी तरफ साफ़ रखना चाहिये । मंदाग्नि होने पर विशेष तरह का आहार-विहार का आचरण करना चाहिए । प्रतिदिन गुदा का आंकुचन करना चाहिए । मसालेदार चटपटी चीजों का प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए।


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