*सर्वप्रथम कैंसर रोगी अपने आत्मविश्वास के साथ योगा और ध्यान करे ।उसके बाद 4 दिन रोगी केवल संतरे, अंगूर, नाशपाती, टमाटर, निम्बू आदि रसयुक्त फल ले. गाजर आदि कच्ची सब्जियों का रस भी लाभदायक है. इसके बाद नीचे बताया गया डाइट चार्ट फॉलो करें.*
*कुछ दिनों तक इसके प्रयोग के बाद रोगी को प्राकृतिक आहार दिया जाना चाहिए, जैसे – लहसुन, टमाटर, गाजर, हरी पत्तियों वाली सब्जियां, बंद गोभी आदि; इनके अलावा अंकुरित अन्न, बादाम आदि.*
*एक किलो पानी में चार चम्मच दालचीनी पाउडर डालकर उबाले, 750 ग्राम पानी रहने पर छानकर दिन भर में थोड़ा थोड़ा कर पिना चाहिए*
*सुबह खाली पेट शौच जाने के बाद रोगी को काली देसी गाय (अगर वो पूरी तरह से काली न हो जैसे उसमे सिर्फ काले धब्बे हो तो भी चलेगी, ऐसी गाय गौशाला में या कही भी ढूंढे, मगर ध्यान रहे के वो गाय गर्भवती न हो, अगर गर्भवती हो तो गाय के बछड़ी व काले रंग की हो तो उसका मूत्र सर्वोत्तम, मगर ध्यान रहे के गाय देसी ही हो.) आधा गिलास गाय का मूत्र ताज़ा और आधा चम्मच हल्दी मिला कर उबाल कर रोगी को पिलाना चाहिए. उसके आधे घंटे के बाद रोगी को गेंहू के जवारों का रस 30 से 60 मि.ली. देना चाहिए. यह कैंसर सेल्स से लड़ने में बेहद अहम् है. गेंहू के जवारे के रस में आधी मात्रा गिलोय की डाल कर पीने से ये कैंसर के लिए अति विशेष पेय बन जाता है ।*
*सुबह के नाश्ते में 100 ग्राम पनीर (घर पर बनाया हुआ और वो भी देसी गाय के दूध या बकरी के दूध से) में 10 से 30 मि.ली. अलसी का तेल मिला कर इसको ब्लेंडर से मिला कर अच्छे से एक जान कर लीजिये. पनीर में तेल दिखना नही चाहिए. अगर ये घोल गाढ़ा हो तो इस घोल में 2 -3 चम्मच अंगूर का रस भी मिला सकते हैं. यह शेक सुबह नाश्ते में रोगी को पिलाना चाहिए.*
*नाश्ते में देसी गाय के दूध से बना हुआ दही एक कटोरी ले कर इसमें 20 मि.ली. तुलसी का स्वरस मिला कर सेवन करें. ध्यान रहे दही खट्टा नहीं होना चाहिए।*
*यदि और खाने की इच्छा हो तो टमाटर, मूली, ककड़ी आदि के सलाद के साथ कूटू, ज्वार, बाजरा आदि साबुत अनाजों के आटे की बनी एक रोटी ले लें। गेंहू के अनाज की बहुत कम ही इस्तेमाल करें. क्यूंकि इसमें ग्लूटेन होता है. पहले के ज़माने में लोग गेंहू में तेल मिला कर या अजवायन व किलौंजी मिलाकर इसको Preserve करते थे जिस से इसका ग्लूटेन का असर कम हो जाता था.*
*नाश्ते के 1 घंटे बाद घर पर ताजा बना गाजर, मूली, लौकी, चुकंदर, गाजर आदि का ताजा रस लें। गाजर और चुकंदर यकृत को ताकत देते हैं और अत्यंत कैंसर रोधी होते हैं। इसके एक घंटे के बाद देसी गाय के दूध से बने दही की छाछ में 5 पत्ते तुलसी के (अगर काली तुसली मिले तो सबसे बेस्ट है, ये अक्सर ही नर्सरी में मिल जाती है) ब्लेंड कर के दे दीजिये.
नाश्ते के तीन घंटे के बाद तक़रीबन 12 बजे रोगी को पत्तागोभी का जूस पीने को दीजिये. पत्तागोभी का रस कैंसर में बेहद असरकारक है. पत्तागोभी एल्कलाइन का बहुत ही उम्दा स्त्रोत है. ये शरीर के सभी सेल्स का पुनर्निर्माण करने में बेहद सहायक है. और जिस मौसम में काली गाजर (देसी गाजर) आती हो उस मौसम में बीच बीच में गाजर का जूस भी पिलाना चाहिए.*
*दोपहर के खाने में कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलगम, मूली, गाजर, गोभी, हरी गोभी, हाथीचाक, शतावर, आदि के सलाद को शामिल करें. यदि फिर भी भूख है तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते हैं। इस रोटी पर आप नारियल, प्याज और लहसुन की घर पर सिल बट्टे पर बनी चटनी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के साथ आप देसी गाय के दूध से बनी दही की छाछ भी ले सकते हैं.*
*दोपहर के खाने के 3 घंटे बाद अंगूर के एक गिलास रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर एक चम्मच (5 ग्राम) अलसी को ताजा पीस कर मिलाएं और खूब चबा कर, लार में मिला कर धीरे धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। चाहें तो आधा घंटे बाद एक ग्लास रस और ले लें।*
*सायंकालीन भोजःशाम को बिना तेल डाले सब्जियों का सूप बनायें। मसाले भी डाल सकते हैं, दालचीनी, हल्दी इत्यादि। टमाटर, गाजर, चुकंदर, प्याज, शतावर, शिमला मिर्च, पालक, पत्ता गोभी, गोभी, हरी गोभी आदि सब्जियों का सेवन करें। सूप को आप उबले कूटू, भूरे चावल, रतालू, आलू, मसूर, राजमा, मटर साबुत दालें या मिश्रित आटे की रोटी के साथ ले सकते हैं।*
*शाम के समय.50 मि.ली. गौ मूत्र (इसमें भी विशेष काली रंग की देसी गाय जो गर्भवती ना हो) इसमें 50 मि.ली. पानी मिलाये और एक बार उबाल लीजिये उबलने के बाद इसमें आधा चम्मच (3 ग्राम) हल्दी का पाउडर मिला करअच्छे से मिक्स कर के घूँट घूँट कर पीजिये.*
*मन के जीते जीत मन के हारे हार*
*अपना व अपने परिवार का हौशला आत्मविश्वास बढ़ाये रखें*
*बीमारी से नहीं बेईमान डॉक्टर से बचें*
*औषधि को भोजन नहीं , भोजन को औषधि बनायें*
*विशेष चिकित्सीय सलाह हेतु आप व्यक्तिगत रात्रि 9 बजे के बाद सम्पर्क कर सकते हैं*
*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*
*मन्त्र 1 :-*
*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*
*• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*
*• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*
*• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*
*• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*
*• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*
*• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*
*मन्त्र 2 :-*
*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*
*• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*
*• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*
*• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*
*• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*
*• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः
*कुछ दिनों तक इसके प्रयोग के बाद रोगी को प्राकृतिक आहार दिया जाना चाहिए, जैसे – लहसुन, टमाटर, गाजर, हरी पत्तियों वाली सब्जियां, बंद गोभी आदि; इनके अलावा अंकुरित अन्न, बादाम आदि.*
*एक किलो पानी में चार चम्मच दालचीनी पाउडर डालकर उबाले, 750 ग्राम पानी रहने पर छानकर दिन भर में थोड़ा थोड़ा कर पिना चाहिए*
*सुबह खाली पेट शौच जाने के बाद रोगी को काली देसी गाय (अगर वो पूरी तरह से काली न हो जैसे उसमे सिर्फ काले धब्बे हो तो भी चलेगी, ऐसी गाय गौशाला में या कही भी ढूंढे, मगर ध्यान रहे के वो गाय गर्भवती न हो, अगर गर्भवती हो तो गाय के बछड़ी व काले रंग की हो तो उसका मूत्र सर्वोत्तम, मगर ध्यान रहे के गाय देसी ही हो.) आधा गिलास गाय का मूत्र ताज़ा और आधा चम्मच हल्दी मिला कर उबाल कर रोगी को पिलाना चाहिए. उसके आधे घंटे के बाद रोगी को गेंहू के जवारों का रस 30 से 60 मि.ली. देना चाहिए. यह कैंसर सेल्स से लड़ने में बेहद अहम् है. गेंहू के जवारे के रस में आधी मात्रा गिलोय की डाल कर पीने से ये कैंसर के लिए अति विशेष पेय बन जाता है ।*
*सुबह के नाश्ते में 100 ग्राम पनीर (घर पर बनाया हुआ और वो भी देसी गाय के दूध या बकरी के दूध से) में 10 से 30 मि.ली. अलसी का तेल मिला कर इसको ब्लेंडर से मिला कर अच्छे से एक जान कर लीजिये. पनीर में तेल दिखना नही चाहिए. अगर ये घोल गाढ़ा हो तो इस घोल में 2 -3 चम्मच अंगूर का रस भी मिला सकते हैं. यह शेक सुबह नाश्ते में रोगी को पिलाना चाहिए.*
*नाश्ते में देसी गाय के दूध से बना हुआ दही एक कटोरी ले कर इसमें 20 मि.ली. तुलसी का स्वरस मिला कर सेवन करें. ध्यान रहे दही खट्टा नहीं होना चाहिए।*
*यदि और खाने की इच्छा हो तो टमाटर, मूली, ककड़ी आदि के सलाद के साथ कूटू, ज्वार, बाजरा आदि साबुत अनाजों के आटे की बनी एक रोटी ले लें। गेंहू के अनाज की बहुत कम ही इस्तेमाल करें. क्यूंकि इसमें ग्लूटेन होता है. पहले के ज़माने में लोग गेंहू में तेल मिला कर या अजवायन व किलौंजी मिलाकर इसको Preserve करते थे जिस से इसका ग्लूटेन का असर कम हो जाता था.*
*नाश्ते के 1 घंटे बाद घर पर ताजा बना गाजर, मूली, लौकी, चुकंदर, गाजर आदि का ताजा रस लें। गाजर और चुकंदर यकृत को ताकत देते हैं और अत्यंत कैंसर रोधी होते हैं। इसके एक घंटे के बाद देसी गाय के दूध से बने दही की छाछ में 5 पत्ते तुलसी के (अगर काली तुसली मिले तो सबसे बेस्ट है, ये अक्सर ही नर्सरी में मिल जाती है) ब्लेंड कर के दे दीजिये.
नाश्ते के तीन घंटे के बाद तक़रीबन 12 बजे रोगी को पत्तागोभी का जूस पीने को दीजिये. पत्तागोभी का रस कैंसर में बेहद असरकारक है. पत्तागोभी एल्कलाइन का बहुत ही उम्दा स्त्रोत है. ये शरीर के सभी सेल्स का पुनर्निर्माण करने में बेहद सहायक है. और जिस मौसम में काली गाजर (देसी गाजर) आती हो उस मौसम में बीच बीच में गाजर का जूस भी पिलाना चाहिए.*
*दोपहर के खाने में कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलगम, मूली, गाजर, गोभी, हरी गोभी, हाथीचाक, शतावर, आदि के सलाद को शामिल करें. यदि फिर भी भूख है तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते हैं। इस रोटी पर आप नारियल, प्याज और लहसुन की घर पर सिल बट्टे पर बनी चटनी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के साथ आप देसी गाय के दूध से बनी दही की छाछ भी ले सकते हैं.*
*दोपहर के खाने के 3 घंटे बाद अंगूर के एक गिलास रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर एक चम्मच (5 ग्राम) अलसी को ताजा पीस कर मिलाएं और खूब चबा कर, लार में मिला कर धीरे धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। चाहें तो आधा घंटे बाद एक ग्लास रस और ले लें।*
*सायंकालीन भोजःशाम को बिना तेल डाले सब्जियों का सूप बनायें। मसाले भी डाल सकते हैं, दालचीनी, हल्दी इत्यादि। टमाटर, गाजर, चुकंदर, प्याज, शतावर, शिमला मिर्च, पालक, पत्ता गोभी, गोभी, हरी गोभी आदि सब्जियों का सेवन करें। सूप को आप उबले कूटू, भूरे चावल, रतालू, आलू, मसूर, राजमा, मटर साबुत दालें या मिश्रित आटे की रोटी के साथ ले सकते हैं।*
*शाम के समय.50 मि.ली. गौ मूत्र (इसमें भी विशेष काली रंग की देसी गाय जो गर्भवती ना हो) इसमें 50 मि.ली. पानी मिलाये और एक बार उबाल लीजिये उबलने के बाद इसमें आधा चम्मच (3 ग्राम) हल्दी का पाउडर मिला करअच्छे से मिक्स कर के घूँट घूँट कर पीजिये.*
*मन के जीते जीत मन के हारे हार*
*अपना व अपने परिवार का हौशला आत्मविश्वास बढ़ाये रखें*
*बीमारी से नहीं बेईमान डॉक्टर से बचें*
*औषधि को भोजन नहीं , भोजन को औषधि बनायें*
*विशेष चिकित्सीय सलाह हेतु आप व्यक्तिगत रात्रि 9 बजे के बाद सम्पर्क कर सकते हैं*
*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*
*मन्त्र 1 :-*
*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*
*• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*
*• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*
*• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*
*• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*
*• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*
*• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*
*मन्त्र 2 :-*
*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*
*• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*
*• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*
*• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*
*• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*
*• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः
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